एक अलग जाती की लड़की जो मॉडल है -
अस्पताल के प्राइवेट पार्ट में लेटे हुए किशन जी सुमन की फ़ोन पर होने वाली बात सुन रहे थे | वह घर पर फ़ोन करके उनका सूप और दलिया नहीं पहुंचने के कारण थोड़ी नाराज थी | वह उस दिन को याद करने लगे ,जब उन्होंने अपनी शादी की बात अपने पिताजी के सामने रखी |मनोज के पिताजी गुस्से से लाल मनोज को चांटा मारने वाले ही होते है लेकिन भाभी जी बीच आकर बचा लेते है | पिताजी ठहरे गांव के किसान ,जो गांव की स्कूल में 12 वी पास करने के बाद आगे पढ़ना तो चाहते थे लेकिन गांव में कॉलेज नहीं होने की वजह से मन मारकर बैठ गए | धीरे -धीरे ज़िंदगी में आगे बढ़ने की बाते तो पीछे छूटती गई | गाँव के लोगो की छोटी सोच में वो जकड़ गए।
अगले साल ही सुमन देवी से उनकी शादी हो गयी सुमन देवी इसी गांव की रहने वाली थी | वो पढ़ी -लिखी तो नहीं थी लेकिन रिश्ते- नातो की अच्छी समझ थी |शादी के 3 साल बाद उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया बेटे का जन्म होने पर दोनो के खुशी का ठिकाना नहीं रहा | फिर तो दूसरे बेटे की चाहत में चार बेटियाँ कर बैठे | बेटे का नाम मनोज रखा | मनोज ने 12 वी गांव के स्कूल से पास की 12 में 90 %अंक प्राप्त किये और सी.ए. बनने की ठान ली | जब ये बात उनके पिताजी को पता चला तो उन्होंने मनोज को दिल्ली भेज दिया | मनोज मन लगाकर पढाई कर रहा था तभी कॉलेज के एक समारोह में उसे माया मिल गई |
पढ़ाई के साथ -साथ प्यार भी हो गया
माया मॉडलिंग करती थी मनोज और माया धीरे -धीरे एक दूसरे को पसंद करने लगे और करीब आने लगे | दोनो साथ मिलकर अपने सुनहरे भविष्ये के सपने देखने लगे | लेकिन दोनो को एक ही चिंता थी की उनके परिवार वाले इस रिश्ते के लिए मानेगे या नहीं | माया के माँ -पापा तो बचपन में एक एक्सीडेंट में गुजर गये
माया को उसकी मामी जी ने पाल पोषकर बड़ा किया | मनोज के पिताजी को समझाना बहुत मुश्किल था | लेकिन प्यार के सामने तो सबको झुकना पड़ा है |
माया के साथ शादी की बात जब घरवालो के सामने रखी तो भूकम्प आ गया | मनोज के पिताजी को गुस्सा आया बोले 'अरे तू समझ नहीं रहा है | एक तो दूसरे धर्म की लड़की ,ऊपर से मॉडल | बर्बाद कर देगी तुझे |
मनोज की माँ सुमन उन्हें पिताजी को समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन पिताजी तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हुए चारो बहने सहम कर एक कमरे में एकत्रित हो गयी | मनोज अगले दिन उदास होकर वापिस लौट गया | माँ और बहने उसे विदा करते समय बहुत रोई थी |
माया मनोज के आने का इंतज़ार कर रही थी जैसे ही मनोज आया मनोज का मुरझाया हुआ चहेरा देख कर माया समझ गयी | लेकिन मनोज भी अपनी ज़िद का पक्का था वह कोई गलत काम नहीं कर रहा है उसने माया का हाथ पकड़ा और उसे मंदिर ले गया भगवान के सामने अपनी पत्नी मान लिया | माया ने मनोज से कहा तुम्हारे माँ -पापा का सपना है की तुम सी.ए. बनो | जब तुम सी.ए. बन जाओगे तभी हम पति पत्नी के रूप में साथ रहेंगे मनोज ने माया की बात मान ली जब तक मनोज का सी.ए.पूरा नहीं हुआ तब तक माया उसकी सहायता करती रहती रूपये -पैसो हर चीज में उसके साथ थी | जब मनोज को अच्छी कम्पनी मिल गयी तो मनोज और माया दोनो साथ रहने लग गए।
मनोज के पापा का कठोर व्यवहार -
ज़िंदगी में सब कुछ था लेकिन मनोज के पिता के व्यवहार के कारण अधूरा सा लगता था | माया मनोज को गांव चलने का कहती है लेकिन मनोज उसे गांव ले जाने से डरता है | माया के रूप में उसे बहुत अच्छी जीवन साथी मिल गयी माया मॉडलिंग के साथ घर का काम भी बहुत अच्छे से संभाल लेती थी | तभी एक दिन माया ने मनोज को खुशखबरी दी की वो पापा बनने वाले है तो मनोज ने माया से कहा हम इस बच्चे को नहीं रखेंगे इससे तुम्हारे
भविष्ये पर रोक लग जाएगी |माया ने बोला ऐसा मत बोलो उसने मनोज के होठो पर हाथ रखकर उसको चुप करवा दिया पर मनोज ने बोला माया मैं नहीं चाहता हूं कि बाद में तुम पछताओ |
उसकी आंखें भर आई, एक औरत की सबसे बड़ी इच्छा मां बनकर पूरी होती है | मनोज , माया तुम तसल्ली से सोच लो माया मैंने सोच लिया है मनोज को अंदाजा भी नहीं था कि माया बच्चे के लिए अपने कैरियर त्यागने को तैयार हो जाएगी |
उसे पिता कि कहीं वह बात याद आने लगी तुझसे निभा भी गई तो यह मॉडल बच्चे नहीं पैदा किया करती है | हमें बिना वंश के रहना पड़ेगा जब 9 महीने बाद माया ने एक गोल मटोल सुंदर से बच्चे को जन्म दिया तो उसने यह खबर गांव भिजवा दी | मनोज की मां सीमा खुशखबरी सुनकर खुशी से झूम उठे और मनोज के पिता को यह खुशी सुनाने से खुद को रोक नहीं पाई उन्होंने जब यह खबर सुनी तो वह खामोश हो गए उनकी आंखे भर आई| बहने भतीजे को देखने के लिए उतावली हो रही थी मनोज की मां सीमा ने जिद करके उसकी बहू को गांव बुलवा लिया माया तो खुशी से फूले नहीं समाई मनोज से सबकी पसंद पूछ-पूछ कर उनके लिए गिफ्ट खरीदने में लग गई|
शहर की एक पढ़ी लिखी लड़की गांव में कुछ इस प्रकार अपने परिवार को संभालती है -
नन्हे बच्चे को लेकर दोनों गांव पहुंचे मनोज मां के गले लग कर बहुत रोया और चारों बहनों आकर उससे गले मिली मनोज के पिता यह सब दूर से बैठे देख रहे थे| सिर पर पल्ला और हाथ में सुंदर से बच्चे को गोद में लिए रिश्तों की मिठास देखकर बहुत खुश हो रही थी | माया ने जाकर पापा जी के पैर छुए तो उनके हाथ माया के सर पर आ गया नन्हा सा बच्चा उन्हें देख इस प्रकार मुस्कराया जैसे अपने खून पहचान लिया हो | मनोज के पिताजी सारी नाराजगी भूल अपने पोते को गोद में लेने से खुद को नहीं रोक पाए। चारो बहने दिन भर नन्हे से बाबू को खिलाती रहती | उन्होंने उसका नाम गोलू रख दिया घर में काम करने वाले हरी और सरला उनकी खातेदारी में कोई कसर नहीं छोड़ते | घर के सभी लोग गोलू को खिलाने में लगे रहते रहते माया सच्चे दिल से माँ -पापा की सेवा में लगी रहती | पापा का दिल जीतने में माया लगी रहती थी |
देखते -देखते मनोज की छुट्टिया खत्म हो गयी
छुट्टियां पूरी होने की बात सुनकर सभी घर वाले उदास हो गए माया ने बताया की मै और गोलू आपके साथ रहेंगे| मनोज माया को परिवार के साथ छोड़कर दिल्ली चला गया | एक दिन माया ने माँ पापा को दिल्ली चलने के लिए कहा ,तो माँ ने कहा हम गांव छोड़कर कही नहीं जायेंगे |
अपनों का ख्याल कुछ इस प्रकार -
माया ने सबको समझाया की कुसुम ने 12 वी पास कर ली है अब आगे कहा पढ़ेगी ?
माया का अपनापन व प्यार देखकर सब उसके आगे झुक गए | माया के अपनत्व को देखकर माँ -पापा उसकी बात को टाल नहीं पाए | सबने दिल्ली जाने की तैयारी शुरू कर दी मनोज के पापा अब तो माया से पूछे बिना कुछ भी नहीं करते। सब माया के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए बड़ी बेटी कुसुम को बी.एसीसी.में प्रवेश दिला दिया। सोना 12 वी में पढ़ रही थी व उमा -रमा का माया ने एक अच्छे स्कूल में प्रवेश दिला दिया |
माया सारे परिवार के लिए दौड़ भाग करती| सुमन जी तो पुरे दिन पोते के साथ खेलने में लगी रहती इसी बीच माया ने भी अपनी मॉडलिंग एकेडमी खोल ली | कुसुम ने m.ssc. कर ली थी | वह अपने ही collage में पढ़ाने लगी | माया ने कुसुम के लिए एक अच्छा सा लड़का देख उसकी शादी बड़े धूम -धाम से कर दी | इस प्रकार माया ने सबकी ज़िंदगी में खुशिया भर दी मनोज और माया का परिवार बहुत खुश था |
माया पढ़ी लिखी लड़की होने के साथ -साथ संस्कारी ,सुशील तथा परिवार को दिल से चाहने वाली थी। माया ने घर परिवार रिश्तो को बहुत अच्छे से सम्भाला जो आज -कल की लड़कियाँ नहीं कर पाती है लेकिन माया सबसे अलग थी।
अस्पताल के प्राइवेट पार्ट में लेटे हुए किशन जी सुमन की फ़ोन पर होने वाली बात सुन रहे थे | वह घर पर फ़ोन करके उनका सूप और दलिया नहीं पहुंचने के कारण थोड़ी नाराज थी | वह उस दिन को याद करने लगे ,जब उन्होंने अपनी शादी की बात अपने पिताजी के सामने रखी |मनोज के पिताजी गुस्से से लाल मनोज को चांटा मारने वाले ही होते है लेकिन भाभी जी बीच आकर बचा लेते है | पिताजी ठहरे गांव के किसान ,जो गांव की स्कूल में 12 वी पास करने के बाद आगे पढ़ना तो चाहते थे लेकिन गांव में कॉलेज नहीं होने की वजह से मन मारकर बैठ गए | धीरे -धीरे ज़िंदगी में आगे बढ़ने की बाते तो पीछे छूटती गई | गाँव के लोगो की छोटी सोच में वो जकड़ गए।
अगले साल ही सुमन देवी से उनकी शादी हो गयी सुमन देवी इसी गांव की रहने वाली थी | वो पढ़ी -लिखी तो नहीं थी लेकिन रिश्ते- नातो की अच्छी समझ थी |शादी के 3 साल बाद उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया बेटे का जन्म होने पर दोनो के खुशी का ठिकाना नहीं रहा | फिर तो दूसरे बेटे की चाहत में चार बेटियाँ कर बैठे | बेटे का नाम मनोज रखा | मनोज ने 12 वी गांव के स्कूल से पास की 12 में 90 %अंक प्राप्त किये और सी.ए. बनने की ठान ली | जब ये बात उनके पिताजी को पता चला तो उन्होंने मनोज को दिल्ली भेज दिया | मनोज मन लगाकर पढाई कर रहा था तभी कॉलेज के एक समारोह में उसे माया मिल गई |
पढ़ाई के साथ -साथ प्यार भी हो गया
माया मॉडलिंग करती थी मनोज और माया धीरे -धीरे एक दूसरे को पसंद करने लगे और करीब आने लगे | दोनो साथ मिलकर अपने सुनहरे भविष्ये के सपने देखने लगे | लेकिन दोनो को एक ही चिंता थी की उनके परिवार वाले इस रिश्ते के लिए मानेगे या नहीं | माया के माँ -पापा तो बचपन में एक एक्सीडेंट में गुजर गये
माया को उसकी मामी जी ने पाल पोषकर बड़ा किया | मनोज के पिताजी को समझाना बहुत मुश्किल था | लेकिन प्यार के सामने तो सबको झुकना पड़ा है |
माया के साथ शादी की बात जब घरवालो के सामने रखी तो भूकम्प आ गया | मनोज के पिताजी को गुस्सा आया बोले 'अरे तू समझ नहीं रहा है | एक तो दूसरे धर्म की लड़की ,ऊपर से मॉडल | बर्बाद कर देगी तुझे |
मनोज की माँ सुमन उन्हें पिताजी को समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन पिताजी तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हुए चारो बहने सहम कर एक कमरे में एकत्रित हो गयी | मनोज अगले दिन उदास होकर वापिस लौट गया | माँ और बहने उसे विदा करते समय बहुत रोई थी |
माया मनोज के आने का इंतज़ार कर रही थी जैसे ही मनोज आया मनोज का मुरझाया हुआ चहेरा देख कर माया समझ गयी | लेकिन मनोज भी अपनी ज़िद का पक्का था वह कोई गलत काम नहीं कर रहा है उसने माया का हाथ पकड़ा और उसे मंदिर ले गया भगवान के सामने अपनी पत्नी मान लिया | माया ने मनोज से कहा तुम्हारे माँ -पापा का सपना है की तुम सी.ए. बनो | जब तुम सी.ए. बन जाओगे तभी हम पति पत्नी के रूप में साथ रहेंगे मनोज ने माया की बात मान ली जब तक मनोज का सी.ए.पूरा नहीं हुआ तब तक माया उसकी सहायता करती रहती रूपये -पैसो हर चीज में उसके साथ थी | जब मनोज को अच्छी कम्पनी मिल गयी तो मनोज और माया दोनो साथ रहने लग गए।
मनोज के पापा का कठोर व्यवहार -
ज़िंदगी में सब कुछ था लेकिन मनोज के पिता के व्यवहार के कारण अधूरा सा लगता था | माया मनोज को गांव चलने का कहती है लेकिन मनोज उसे गांव ले जाने से डरता है | माया के रूप में उसे बहुत अच्छी जीवन साथी मिल गयी माया मॉडलिंग के साथ घर का काम भी बहुत अच्छे से संभाल लेती थी | तभी एक दिन माया ने मनोज को खुशखबरी दी की वो पापा बनने वाले है तो मनोज ने माया से कहा हम इस बच्चे को नहीं रखेंगे इससे तुम्हारे
भविष्ये पर रोक लग जाएगी |माया ने बोला ऐसा मत बोलो उसने मनोज के होठो पर हाथ रखकर उसको चुप करवा दिया पर मनोज ने बोला माया मैं नहीं चाहता हूं कि बाद में तुम पछताओ |
उसकी आंखें भर आई, एक औरत की सबसे बड़ी इच्छा मां बनकर पूरी होती है | मनोज , माया तुम तसल्ली से सोच लो माया मैंने सोच लिया है मनोज को अंदाजा भी नहीं था कि माया बच्चे के लिए अपने कैरियर त्यागने को तैयार हो जाएगी |
उसे पिता कि कहीं वह बात याद आने लगी तुझसे निभा भी गई तो यह मॉडल बच्चे नहीं पैदा किया करती है | हमें बिना वंश के रहना पड़ेगा जब 9 महीने बाद माया ने एक गोल मटोल सुंदर से बच्चे को जन्म दिया तो उसने यह खबर गांव भिजवा दी | मनोज की मां सीमा खुशखबरी सुनकर खुशी से झूम उठे और मनोज के पिता को यह खुशी सुनाने से खुद को रोक नहीं पाई उन्होंने जब यह खबर सुनी तो वह खामोश हो गए उनकी आंखे भर आई| बहने भतीजे को देखने के लिए उतावली हो रही थी मनोज की मां सीमा ने जिद करके उसकी बहू को गांव बुलवा लिया माया तो खुशी से फूले नहीं समाई मनोज से सबकी पसंद पूछ-पूछ कर उनके लिए गिफ्ट खरीदने में लग गई|
शहर की एक पढ़ी लिखी लड़की गांव में कुछ इस प्रकार अपने परिवार को संभालती है -
नन्हे बच्चे को लेकर दोनों गांव पहुंचे मनोज मां के गले लग कर बहुत रोया और चारों बहनों आकर उससे गले मिली मनोज के पिता यह सब दूर से बैठे देख रहे थे| सिर पर पल्ला और हाथ में सुंदर से बच्चे को गोद में लिए रिश्तों की मिठास देखकर बहुत खुश हो रही थी | माया ने जाकर पापा जी के पैर छुए तो उनके हाथ माया के सर पर आ गया नन्हा सा बच्चा उन्हें देख इस प्रकार मुस्कराया जैसे अपने खून पहचान लिया हो | मनोज के पिताजी सारी नाराजगी भूल अपने पोते को गोद में लेने से खुद को नहीं रोक पाए। चारो बहने दिन भर नन्हे से बाबू को खिलाती रहती | उन्होंने उसका नाम गोलू रख दिया घर में काम करने वाले हरी और सरला उनकी खातेदारी में कोई कसर नहीं छोड़ते | घर के सभी लोग गोलू को खिलाने में लगे रहते रहते माया सच्चे दिल से माँ -पापा की सेवा में लगी रहती | पापा का दिल जीतने में माया लगी रहती थी |
देखते -देखते मनोज की छुट्टिया खत्म हो गयी
छुट्टियां पूरी होने की बात सुनकर सभी घर वाले उदास हो गए माया ने बताया की मै और गोलू आपके साथ रहेंगे| मनोज माया को परिवार के साथ छोड़कर दिल्ली चला गया | एक दिन माया ने माँ पापा को दिल्ली चलने के लिए कहा ,तो माँ ने कहा हम गांव छोड़कर कही नहीं जायेंगे |
अपनों का ख्याल कुछ इस प्रकार -
माया ने सबको समझाया की कुसुम ने 12 वी पास कर ली है अब आगे कहा पढ़ेगी ?
माया का अपनापन व प्यार देखकर सब उसके आगे झुक गए | माया के अपनत्व को देखकर माँ -पापा उसकी बात को टाल नहीं पाए | सबने दिल्ली जाने की तैयारी शुरू कर दी मनोज के पापा अब तो माया से पूछे बिना कुछ भी नहीं करते। सब माया के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए बड़ी बेटी कुसुम को बी.एसीसी.में प्रवेश दिला दिया। सोना 12 वी में पढ़ रही थी व उमा -रमा का माया ने एक अच्छे स्कूल में प्रवेश दिला दिया |
माया सारे परिवार के लिए दौड़ भाग करती| सुमन जी तो पुरे दिन पोते के साथ खेलने में लगी रहती इसी बीच माया ने भी अपनी मॉडलिंग एकेडमी खोल ली | कुसुम ने m.ssc. कर ली थी | वह अपने ही collage में पढ़ाने लगी | माया ने कुसुम के लिए एक अच्छा सा लड़का देख उसकी शादी बड़े धूम -धाम से कर दी | इस प्रकार माया ने सबकी ज़िंदगी में खुशिया भर दी मनोज और माया का परिवार बहुत खुश था |
माया पढ़ी लिखी लड़की होने के साथ -साथ संस्कारी ,सुशील तथा परिवार को दिल से चाहने वाली थी। माया ने घर परिवार रिश्तो को बहुत अच्छे से सम्भाला जो आज -कल की लड़कियाँ नहीं कर पाती है लेकिन माया सबसे अलग थी।
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