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Sunday, 25 February 2018

ढूंढ क्या होता है वह ढूंढ की रस्म क्यों की जाती है |

 ढूँढ क्या है इसकी जानकारी आपको यहाँ मिलेगी - 
आइये हम आपको बताते है ढूंढ ये हमारी भारतीय संस्कृति में एक रस्म है | यह रस्म बहुत ही महत्त्व पूर्ण मानी जाती है यह रस्म होली के अवसर पर पूरी की जाती है |पहले इस रस्म को बहुत महत्व दिया  जाता था लेकिन पाश्चात्य संस्कृति ने सभी रस्म रिवाजो की होली जला दी| गाँव में तो रस्म अभी भी करते है लेकिन शहरी लोगो ने इस रस्म का नाम  मिटा दिया है 
ढूंढ़ किसके द्वारा लाया जाता है -  
                                          ढूंढ भाई के पहला बच्चा होने पर उसकी बहन या उसके ननिहाल से लाया जाता है|
  • ढूंढ़ में काम आने वाली सामग्री -   इसमें  बताशा खिलौने कपड़े तथा फुले मिठाई व सोने चांदी के कड़े आदि बच्चे को दिए जाते है तथा उसकी लम्बी उम्र की कामना करते है | कल रामदेवजी टांडी उनके लाडले दोहिते के ढूंढ लेकर गए उनका लाडला दोहिता जो श्रीमान परसराम जी किलक का पोता व सावताराम जी का बेटा है | फिर रामदेव जी ने सबको उपहार व शैंपी को गिफ्ट दिया तथा औरतो  ने मिलकर गीत गाये व शैंपी की लम्बी उम्र की कामना की 
 हम यहाँ से मोटरसाइकिल से गए मोटरसाइकिल पर दो कट्टे भरकर लेके गए यहां से जाने के बाद हम डेयरी पर रुकते हुए गए फिर हम उनके घर पहुंचे जाते ही उन्होंने हमारा स्वागत किया खाट पर बैठकर चाय पिलाई जब हम यहां से गए तो इन्दु घर पर नहीं थी हमने उसका बहुत इंतजार किया तब जाके इन्दु ने दर्शन दिए फिर थोड़ी देर बैठे और बातें  की तब तक रमा और सन्तु ने खाना बनाया फिर हम सबने मिलकर साथ में खाना खाया पेट पूजा होने के बाद बहुत देर तक डांस किया |

फिर मुन्न्जि आ गये फिर उनके साथ रमा सन्तु व नरसी की शादी की बाते की और साथ साथ शादी की तैयारी भी शुरू कर दी नरसी शादी को लेके बड़ा खुश है लेकिन उस बेचारे को क्या पता की शादी के बाद ज़िंदगी तब्हा हो जाती है | साथ साथ ब्याईजी को खर्चे से बड़ा डर लग रहा है ताऊजी ने उनको सांत्वना दी फिर एक बार और चाय बनाई इस बार चाय में टाडा टी का प्रयोग किया चाय बहुत कड़क बनी काबिले तारीफ ये चाय वास्तव में बहुत जोरदार चाय है | काफी देर बाते करने के बाद हम वहा से अपने घर के लिए निकल गए

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