युवा पीढ़ी भटक रही है -
आज की भागमभाग वाली जिंदगी में व्यक्ति के पास लगता है खुद के लिए भी टाइम नहीं है| ऐसे में परिवार के सदस्य और समाज की चिंता कौन करें ?
आज तो हालात है कि बच्चे भी अपने मां-बाप से ठीक से बात नहीं करते और ना ही मां-बाप को इसकी चिंता ? है कि उनका बच्चा क्या कर रहा है ?आज की दिमाग को भटकाने के लिए आने के लिए इंटरनेट ,Facebook, WhatsApp ,instagram तथा हजारों दोस्त है | किंतु सही राह दिखाने वाला कोई नहीं है |
बड़े बुजुर्गो से कुछ सीखने की कोशिश करे -
क्या करे कहां जाए कोई बताने वाले नहीं है| जिंदगी में खुद के फैसले खुद नहीं ले सकते लेकिन बुजुर्गों की बात भी नहीं मानने वाले समय की चाली ऐसे ही बड़े बुजुर्ग भी कुछ कहने से डरते हैं लोग कोई आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता |
सवाल यह है कि कैसे युवा-मन निर्णय लें कौन सा रास्ता चुने क्या सही रहेगा क्या गलत कोई समझने वाला नहीं है इन सब सवालों को लेकर युवा अजीब मानसिकता से गुजर रहे हैं दूसरी ओर सबकी इच्छाएं बहुत बढ़ गई है हर काम में परफेक्शन चाहिए|
यह कैसे संभव है बच्चों को अनुशासन में रखना आवश्यक है उनके लिए निर्णय लेना भी जरूरी है किशोर वर्ग के पंखों को उड़ान भरने दे उनको अपनी बातों में शामिल करें उनकी बातों में कुछ छोटे-छोटे जिम्मेदारी खुद लेने दे माता-पिता मान कर चलते हैं कि वह सही है वही बच्चे का भविष्य उज्जवल बनाने वाले हैं बच्चा कोई उन पर निर्भर नहीं है उसे भी खुद का भविष्य बनाना है हर बच्चा चाहता है कि उसके मां-बाप उसे खुद के तरीके से जीने दे |
बच्चो को खुद के फैसले खुद लेने दे -
उसे हर प्रकार की आजादी दे बच्चे को लगता है कि मां बाप उसको खुद के स्टेटस से ना जोड़ें इन सब से वह दूर रहना चाहता है उसको लगता है उसे खुद की क्षमता के अनुसार निर्णय या फैसला करने दे खुद की रुचि के अनुसार अपना लक्ष्य चुने यह नहीं की मां बाप उस पर उनकी मर्जी के अनुसार कुछ थोपे |
अगर बच्चा अपनी जिम्मेदारी खुद लेना चाहता है और अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेता है तो फिर देखिए इसका परिणाम क्या होता है| हमें हर चीज से डर लगता है हम किसी से खुलकर बात क्यों नहीं कर सकते अपनों से कैसा डर| मुख्य बात यह है कि माता-पिता पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है खाने पीने की , खिलौनों के ढेर के साथ-साथ बच्चों में ना को स्वीकारने की आदत डालनी जरूरी है|
बच्चो की Feeling को समझे माँ -बाप -
जरूरत से पहले ही भुला देना किसी वस्तु के लिए ना नहीं कहना उनकी हर बात मान लेना बच्चों को जिद्दी बना देती है | ऐसे बच्चों को गलत सही कहा ध्यान देना बहुत आवश्यक है और यह कब होगा जब हम उनसे बातचीत करेंगे उन्हें समझने की कोशिश करेंगे तो बड़े छोटे सभी अपनी बात खुलकर बता सकेंगे यहां रख सकेंगे | अगर कोई समस्या है तो समाधान करने में आसानी रहेगी किंतु जहां ऐसा नहीं हो पाता है वहां सब गड़बड़ हो जाता है | नतीजा समस्याओं का अंबार लग जाता है फिर बच्चों को कुछ समझ में नहीं आता है और वह कुछ ना कुछ गलत कदम उठा लेते हैं| चोरी डकैती ड्रग लेना ,दारु, शराब आदि की आदत पड़ जाना और इन सब से उभरने के लिए बच्चों को अपने मां-बाप का साथ चाहिए जो |
उन्हें अच्छे से समझ सके और उनके लिए कुछ कर सके उन्हें सही रास्ता दिखा सके अगर ऐसा नहीं होता है तो उसमें एक ही बात रहती है फिर वह बच्चा सुसाइड कर बैठते हैं और बिना मतलब के अपनी जान गवा देते हैं इसी वजह से हमारे देश में युवाओं के सुसाइड की समस्या बढ़ती जा रही है|
खुद के फैसले बच्चो पर थोपे नहीं -
अपनी पारखी नजरो से उन्हें उनकी रुचि और क्षमता अनुसार निर्णय लेने दे|
उनका आत्म सम्मान बढ़ाएं अपने मर्जी उन पर थोपे नहीं फिर देखिए परिणाम खुलकरकैसे सामने आता है | क्यों नहीं एक दूसरे से बात कर सकते अपनों से कैसा पर्दा बच्चों पर कोई भी दबाव नहीं डाले कि जिससे उनको कुछ गलत कदम उठाना पड़े | हर बच्चे की ख्वाहिश को पूरा करें तथा उनको उनकी मर्जी के अनुसार फैसले लेने दे |
आज की भागमभाग वाली जिंदगी में व्यक्ति के पास लगता है खुद के लिए भी टाइम नहीं है| ऐसे में परिवार के सदस्य और समाज की चिंता कौन करें ?
आज तो हालात है कि बच्चे भी अपने मां-बाप से ठीक से बात नहीं करते और ना ही मां-बाप को इसकी चिंता ? है कि उनका बच्चा क्या कर रहा है ?आज की दिमाग को भटकाने के लिए आने के लिए इंटरनेट ,Facebook, WhatsApp ,instagram तथा हजारों दोस्त है | किंतु सही राह दिखाने वाला कोई नहीं है |
बड़े बुजुर्गो से कुछ सीखने की कोशिश करे -
क्या करे कहां जाए कोई बताने वाले नहीं है| जिंदगी में खुद के फैसले खुद नहीं ले सकते लेकिन बुजुर्गों की बात भी नहीं मानने वाले समय की चाली ऐसे ही बड़े बुजुर्ग भी कुछ कहने से डरते हैं लोग कोई आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता |
सवाल यह है कि कैसे युवा-मन निर्णय लें कौन सा रास्ता चुने क्या सही रहेगा क्या गलत कोई समझने वाला नहीं है इन सब सवालों को लेकर युवा अजीब मानसिकता से गुजर रहे हैं दूसरी ओर सबकी इच्छाएं बहुत बढ़ गई है हर काम में परफेक्शन चाहिए|
यह कैसे संभव है बच्चों को अनुशासन में रखना आवश्यक है उनके लिए निर्णय लेना भी जरूरी है किशोर वर्ग के पंखों को उड़ान भरने दे उनको अपनी बातों में शामिल करें उनकी बातों में कुछ छोटे-छोटे जिम्मेदारी खुद लेने दे माता-पिता मान कर चलते हैं कि वह सही है वही बच्चे का भविष्य उज्जवल बनाने वाले हैं बच्चा कोई उन पर निर्भर नहीं है उसे भी खुद का भविष्य बनाना है हर बच्चा चाहता है कि उसके मां-बाप उसे खुद के तरीके से जीने दे |
बच्चो को खुद के फैसले खुद लेने दे -
उसे हर प्रकार की आजादी दे बच्चे को लगता है कि मां बाप उसको खुद के स्टेटस से ना जोड़ें इन सब से वह दूर रहना चाहता है उसको लगता है उसे खुद की क्षमता के अनुसार निर्णय या फैसला करने दे खुद की रुचि के अनुसार अपना लक्ष्य चुने यह नहीं की मां बाप उस पर उनकी मर्जी के अनुसार कुछ थोपे |
अगर बच्चा अपनी जिम्मेदारी खुद लेना चाहता है और अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेता है तो फिर देखिए इसका परिणाम क्या होता है| हमें हर चीज से डर लगता है हम किसी से खुलकर बात क्यों नहीं कर सकते अपनों से कैसा डर| मुख्य बात यह है कि माता-पिता पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है खाने पीने की , खिलौनों के ढेर के साथ-साथ बच्चों में ना को स्वीकारने की आदत डालनी जरूरी है|
बच्चो की Feeling को समझे माँ -बाप -
जरूरत से पहले ही भुला देना किसी वस्तु के लिए ना नहीं कहना उनकी हर बात मान लेना बच्चों को जिद्दी बना देती है | ऐसे बच्चों को गलत सही कहा ध्यान देना बहुत आवश्यक है और यह कब होगा जब हम उनसे बातचीत करेंगे उन्हें समझने की कोशिश करेंगे तो बड़े छोटे सभी अपनी बात खुलकर बता सकेंगे यहां रख सकेंगे | अगर कोई समस्या है तो समाधान करने में आसानी रहेगी किंतु जहां ऐसा नहीं हो पाता है वहां सब गड़बड़ हो जाता है | नतीजा समस्याओं का अंबार लग जाता है फिर बच्चों को कुछ समझ में नहीं आता है और वह कुछ ना कुछ गलत कदम उठा लेते हैं| चोरी डकैती ड्रग लेना ,दारु, शराब आदि की आदत पड़ जाना और इन सब से उभरने के लिए बच्चों को अपने मां-बाप का साथ चाहिए जो |
उन्हें अच्छे से समझ सके और उनके लिए कुछ कर सके उन्हें सही रास्ता दिखा सके अगर ऐसा नहीं होता है तो उसमें एक ही बात रहती है फिर वह बच्चा सुसाइड कर बैठते हैं और बिना मतलब के अपनी जान गवा देते हैं इसी वजह से हमारे देश में युवाओं के सुसाइड की समस्या बढ़ती जा रही है|
खुद के फैसले बच्चो पर थोपे नहीं -
अपनी पारखी नजरो से उन्हें उनकी रुचि और क्षमता अनुसार निर्णय लेने दे|
उनका आत्म सम्मान बढ़ाएं अपने मर्जी उन पर थोपे नहीं फिर देखिए परिणाम खुलकरकैसे सामने आता है | क्यों नहीं एक दूसरे से बात कर सकते अपनों से कैसा पर्दा बच्चों पर कोई भी दबाव नहीं डाले कि जिससे उनको कुछ गलत कदम उठाना पड़े | हर बच्चे की ख्वाहिश को पूरा करें तथा उनको उनकी मर्जी के अनुसार फैसले लेने दे |
No comments:
Post a Comment