छोटी सी सुन्दर लड़की की कहानी -
दीवाली की रात पूरा गांव दीपक फूलों से सजा हुआ दिवाली मना रहा था | तभी किसी के घर पर बेटी ने जन्म लिया दिवाली के दिन अगर लड़की का जन्म होता है तो उसे लक्ष्मी का रुप दिया जाता है बच्चे के रोने की आवाज आई छोटा सा कमरा भर गया लक्ष्मी आई है यह कहते हुए दाहि ने चांदी का कड़ा दिया |
चंदा ने खुशी से बच्चे को हाथ में उठाया ध्यान से देख बोली थोड़ा रंग फीका है तो लड़की बहुत प्यारी है जीतेन्द्र ने सुना की बेटी हुई है तो उनका चेहरा फीका पड़ गया और वह गुस्से से तमतमाते हुए बाहर चले गए | लड़की की माँ ने उसको बहुत लाड प्यार से बड़ा किया | लेकिन लड़की की नानी बेटी को पसंद नहीं करती है और वह उसे मारने का कहती है लेकिन लड़की की दादी को बेटियों से बहुत लगाव होता है वह अपनी समधन को समझाती है और कहती है कुछ शर्म करो एक औरत होकर लड़कियों को मारने की बात करती हो वो भी इस जमाने में जब लड़को से ज्यादा लड़किया अच्छी है |
चंदा के पति जीतेंद्र लड़की के पैदा होते ही घर छोड़कर चले गये | इधर चंदा की प्यारी सी गुड़िया तीन महीने की हो चुकी थी |
अपनी बेटी के प्रति माँ की नई सोच -
पीहर की सारी रस्मे पूरी होने के बाद चंदा को अपनी गुड़िया के साथ अपने ससुराल आना था | चंदा की माँ बहुत नेक दिल औरत थी वह लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नहीं करती थी उसका कहना था कि वह अपने दिल्ली वाला घर अपनी गुड़िया लक्ष्मी के नाम करेगी क्या पता लक्ष्मी को कभी दिल्ली में रहने की जरूरत पड़े तो वहां रह सकती है पूरे 4 महीने बाद घर लौटे तो तू घर की लक्ष्मी छोटी सी गुड़िया हाथ पैर मारकर किलकारी करती हुई हल्की सी मुस्कुराती है |
यह देख जितेंद्र जितेंद्र थोड़े उदास होकर आगे निकल जाते हैं और अपने दोनों बेटों को पुकारते हैं वह कहते हैं बेटा पवन समर इधर आओ देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं दोनों बेटे जल्दी से नीचे आते हुए पापा के सामने खड़े हो जाते हैं वह उनके लिए खिलौने, मिठाई ,फल उनको देते हैं |थोड़ी देर रुक कर फिर चंदा को बोलते हैं चंदा बहुत नाराज होना तुम्हारे लिए भी साड़ी और ब्लाउज लाया हूं तभी जितेंद्र की मां जोर से गुस्से में बोली जोरू के गुलाम ,मेरे कपड़े पुराने हो गए उनका क्या ????
बीवी के लिए तो तू साड़ी और ब्लाउज लाया है मेरे लिए क्या लाया है| चंदा ने अपनी सासू मां को कहा क्यों चिंता कर रही हो मां यह लो तुम मेरी यह साड़ी पहन लो चंदा की यह बातें देखकर जितेंद्र को बहुत अच्छा लगा | घर गृहस्ती का काम ऐसे ही चलता रहा और तीनों बच्चे पढ़ने में लग गए|
जब रिजल्ट आया तो थोड़ा अजीब सा लगा उसकी बेटी लक्ष्मी कक्षा में फर्स्ट आई थी और छोटी सी लड़की सुबह शाम पूजा के समय संस्कृत में श्लोक उच्चारण करती थी|
ज़िंदगी में आगे बढ़ने का हौसला होना चाहिए -
लक्ष्मी 16 साल की हुई तो मैडम शालिनी ने कक्षा की सभी लड़कियों को समझाया की तुम यह मत सोचो कि तुम लड़कियां हो ,तो घर में बैठ कर चुला चौका तथा बच्चे पैदा करोगी | जीवन में तुम भी अपने लक्ष्य या मकसद निर्धारित करके अपना उद्देश्य बना सकती हो | अपनी चुनौतियों का सामना करके बिना डरे आगे बढ़ सकती हो |
लड़को की तरह कुछ बड़ा बनने के सपने सोच सकते हो ,देख सकती हो इसके लिए मेहनत करनी होगी अगर हम छोटा सा पौधा लगाते हैं तो यह निश्चित है कि हमें उसे फल प्राप्त होगा | इधर जितेंद्र जी को बड़ी जल्दी हो रही थी कि लक्ष्मी की शादी करें|
रोज चंदा को लक्ष्मी के शादी की बात करते कहते बेटी बड़ी हो रही है अब इसकी जल्दी से शादी कर देनी चाहिए| वह कहते हैं लड़के तो सड़क पर पानी पुरी का ठेला लगाकर भी अपना गुजारा कर सकते हैं | लेकिन लड़कियां नहीं |
लक्ष्मी का मुंबई सफर -
जितेंद्र जी की सोच बहुत छोटी थी | वह पुराने जमाने के आदमी दिखाई पड़ते थे लक्ष्मी को अपनी दादी, मां और नानी से ही समर्थन प्राप्त होता था | जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा लक्ष्मी को इन्ही से मिलती थी |
एक दिन नानी ने लक्ष्मी से कहा तुम्हारी एक दोस्त मुंबई में रहती है| यह कुछ पैसे ले और कुछ दिनों के लिए वहां घूम कर आ जा लक्ष्मी को और क्या चाहिए था|
उसने अपनी नानी से पैसे लिए और अपनी दोस्त आयुषी के घर जा पहुंची कब तक नानी और मां लक्ष्मी को बचाते रहेंगे | लेकिन जिंदगी में एक दिन आगे बढ़ना तो था |
आयुषी ने लक्ष्मी का मुंबई में रेलवे स्टेशन पर गले लगकर बहुत जोरों से स्वागत किया ऑटो से आयुषी के घर पहुंची लक्ष्मी बहुत खुश हो रही थी लेकिन जब उसे रहने के लिए अच्छा सा कमरा नहीं मिला तो वह थोड़ी उदास हो गई | साधारण सी लड़की आयुषी कॉल सेंटर पर नौकरी कर दस -पंद्रह हजार रुपए कमाती | लेकिन मुंबई एयर होने के कारण वहां का खर्चा भी उतना ही ज्यादा था आठ -दस हजार कमरे के किराए के लग जाते हैं तथा बाकी आने जाने में टेंपो का किराया हो जाता है | मुंबई का माहौल देखकर लक्ष्मी को अपने फ्यूचर के बारे में चिंता होने लगी| मुंबई में कई लोग बेरोजगार सभी इधर-उधर अपने रोजगार की तलाश में भटक रहे थे उनमें से एक लक्ष्मी भी थी| लक्ष्मी ने हमेशा से यही सोचा की तुम लड़की हो ,अपनी रक्षा खुद करो | लड़की हुआ तो क्या हुआ लेकिन हिम्मत तो लड़कों वाली होनी चाहिए |
उसको लगा की वह मुंबई में रहकर अपने भविष्य के लिए कुछ नहीं कर सकती|
ज़िंदगी में रिश्तो की अहमियत -
इसलिए अपनी नानी के गांव जाना ही बेहतर होगा वहां के माहौल के अनुसार ही वह अपने भविष्य के लिए कुछ प्लान करेंगी लक्ष्मी अगले दिन ट्रेन से अपने नानी के पास आ जाती है| नानी लक्ष्मी को देखकर बहुत खुश होती है और कहती है बेटा जिंदगी में पैसा ही सब कुछ नहीं होता सबसे बढ़कर रिश्ते होते हैं | जो रिश्तो की अहमियत को समझ गया वह जिंदगी जीने का मकसद समझ गया |
लक्ष्मी का जानवरो के प्रति प्यार लगाव -
एक बार लक्ष्मी सब्जी के लिए जा रही थी तो उसे एक बीमार गाय मिलती है | जो सड़क के किनारे पड़ी सड़ी गली सब्जी को खा रही थी | भूख-प्यास के कारण उसकी हालत खराब थी |
लक्ष्मी ने उसको डॉक्टर के पास दिखाकर दवाई पानी लाकर उसकी सेवा की और और अपने बाड़े में बांध लिया | कुछ दिनों में उस गाय में बहुत बदलाव आया वह खा पीकर स्वस्थ हो गयी | लक्ष्मी की नानी पूरे दिन गाय की सेवा में ही लगी रहती उसे चारा-पानी दवा-दारू देती रहती | लक्ष्मी को देखकर दोनों भाई दौड़कर आते हैं और लक्ष्मी के गले लगकर बहुत सारा प्यार करते हैं | अब लक्ष्मी ने अपने बाड़े में पशुओं की संख्या बढ़ा ली | पूरे दिन उन्हीं की सेवा में लगी रहती लक्ष्मी पूरे दिन काम करती गाय भैंस के पीछे घूमती रहती फिर इनका दूध निकालती लक्ष्मी को इतना काम करते हुए देखकर छोटा भाई समर भी उसका हाथ बढ़ाता था|
लक्ष्मी ने दूध बेचना शुरू कर दिया सरस दूध ऐसे सारे दूध को पीछे छोड़कर उनसे सस्ती कीमत पर अपनी ग्राहकी बढ़ा ली थी | अब लक्ष्मी ने अपने नानी की मदद से अपने बाड़े में 15 -20 जानवरों की संख्या और बढ़ा ली और अपना दूध का उत्पादन ज्यादा से ज्यादा करने लगी| इनका काम करने के लिए लक्ष्मी ने एक नौकर रख दिया था| सारा कामकाज वही संभालता था |
लक्ष्मी ने उन सबको अलग-अलग नाम भी दे दिए| जब लक्ष्मी ने अपना खुद का डेयरी का धंधा शुरू किया | वह अपनी पूरी निष्ठा तथा ईमानदारी के साथ दूध का काम करती| बिना किसी मिलावट किए और अपने आप को अपने धंधे को बहुत प्रसिद्ध कर दिया| जहां केवल राम कृष्ण के चर्चे होते थे वहा अब लक्ष्मी का नाम भी साथ में जुड़ गया | गांव में अब लक्ष्मी के काम ,मेहनत और ईमानदारी की चर्चा होती थी | यह देख सब लोग कहते थे क छोटी सी लड़की होकर आज कितना बड़ा काम कर रही है | देखो कितनी प्यारी बिटिया है|
यह बात समाज में लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है| लक्ष्मी को शुद्ध तथा साफ सफाई जानवरों को सुरक्षित व दूरस्थ रखने के एवज में सरकार ने उसे ₹200000 का चेक तथा एक ट्रॉफी देकर सम्मानित किया | तब जितेंद्र जी अपनी पत्नी चंदा को बोलते हैं चलोगी ना लक्ष्मी बिटिया से मिलने वृंदावन तब लक्ष्मी गुस्सा होकर बोलती है नहीं | उस काली कलूटी मूर्ख लड़की से क्या मिलना |
जितेंद्र जी थोड़ा रुक कर बोलते हैं अब मुझे माफ भी नहीं करोगी | जान तो गए हैं कि वह हमारी लड़कों से ज्यादा योग्य प्यारी सुंदर बेटी है | और वह दोनों खुशी के मारे नाचते हुए अपने घर के बाहर आते हैं उनकी खुशी देखकर गांव वाले भी उनकी खुशी में शामिल होते हैं तथा उनको बधाई देते हैं |
समाज में लक्ष्मी ने आगे बढ़कर एक मिशाल पेश की -
कि समाज में यह एक बहुत अच्छा काम है लड़कियों के आगे बढ़ने का यही तरीके है कि लड़की होना अपराध नहीं है समाज उसे अपराधी बना देता है| लड़की है तो क्या वह बिजनेस नहीं कर सकती बाहर जाकर नौकरी नहीं कर सकती अपना खुद का धंधा स्थापित नहीं कर सकती | लड़की हुई तो क्या हुआ वह अपनी जिंदगी में कुछ भी करने का हौसला रखना चाहिए बस लड़कियां लड़कों से दो कदम आगे हैं लड़के एक थप्पड़ मारे तो लड़कियां उसका जवाब मुक्के से देती है| अथार्त ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए|
दीवाली की रात पूरा गांव दीपक फूलों से सजा हुआ दिवाली मना रहा था | तभी किसी के घर पर बेटी ने जन्म लिया दिवाली के दिन अगर लड़की का जन्म होता है तो उसे लक्ष्मी का रुप दिया जाता है बच्चे के रोने की आवाज आई छोटा सा कमरा भर गया लक्ष्मी आई है यह कहते हुए दाहि ने चांदी का कड़ा दिया |
चंदा ने खुशी से बच्चे को हाथ में उठाया ध्यान से देख बोली थोड़ा रंग फीका है तो लड़की बहुत प्यारी है जीतेन्द्र ने सुना की बेटी हुई है तो उनका चेहरा फीका पड़ गया और वह गुस्से से तमतमाते हुए बाहर चले गए | लड़की की माँ ने उसको बहुत लाड प्यार से बड़ा किया | लेकिन लड़की की नानी बेटी को पसंद नहीं करती है और वह उसे मारने का कहती है लेकिन लड़की की दादी को बेटियों से बहुत लगाव होता है वह अपनी समधन को समझाती है और कहती है कुछ शर्म करो एक औरत होकर लड़कियों को मारने की बात करती हो वो भी इस जमाने में जब लड़को से ज्यादा लड़किया अच्छी है |
चंदा के पति जीतेंद्र लड़की के पैदा होते ही घर छोड़कर चले गये | इधर चंदा की प्यारी सी गुड़िया तीन महीने की हो चुकी थी |
अपनी बेटी के प्रति माँ की नई सोच -
पीहर की सारी रस्मे पूरी होने के बाद चंदा को अपनी गुड़िया के साथ अपने ससुराल आना था | चंदा की माँ बहुत नेक दिल औरत थी वह लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नहीं करती थी उसका कहना था कि वह अपने दिल्ली वाला घर अपनी गुड़िया लक्ष्मी के नाम करेगी क्या पता लक्ष्मी को कभी दिल्ली में रहने की जरूरत पड़े तो वहां रह सकती है पूरे 4 महीने बाद घर लौटे तो तू घर की लक्ष्मी छोटी सी गुड़िया हाथ पैर मारकर किलकारी करती हुई हल्की सी मुस्कुराती है |
यह देख जितेंद्र जितेंद्र थोड़े उदास होकर आगे निकल जाते हैं और अपने दोनों बेटों को पुकारते हैं वह कहते हैं बेटा पवन समर इधर आओ देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं दोनों बेटे जल्दी से नीचे आते हुए पापा के सामने खड़े हो जाते हैं वह उनके लिए खिलौने, मिठाई ,फल उनको देते हैं |थोड़ी देर रुक कर फिर चंदा को बोलते हैं चंदा बहुत नाराज होना तुम्हारे लिए भी साड़ी और ब्लाउज लाया हूं तभी जितेंद्र की मां जोर से गुस्से में बोली जोरू के गुलाम ,मेरे कपड़े पुराने हो गए उनका क्या ????
बीवी के लिए तो तू साड़ी और ब्लाउज लाया है मेरे लिए क्या लाया है| चंदा ने अपनी सासू मां को कहा क्यों चिंता कर रही हो मां यह लो तुम मेरी यह साड़ी पहन लो चंदा की यह बातें देखकर जितेंद्र को बहुत अच्छा लगा | घर गृहस्ती का काम ऐसे ही चलता रहा और तीनों बच्चे पढ़ने में लग गए|
जब रिजल्ट आया तो थोड़ा अजीब सा लगा उसकी बेटी लक्ष्मी कक्षा में फर्स्ट आई थी और छोटी सी लड़की सुबह शाम पूजा के समय संस्कृत में श्लोक उच्चारण करती थी|
ज़िंदगी में आगे बढ़ने का हौसला होना चाहिए -
लक्ष्मी 16 साल की हुई तो मैडम शालिनी ने कक्षा की सभी लड़कियों को समझाया की तुम यह मत सोचो कि तुम लड़कियां हो ,तो घर में बैठ कर चुला चौका तथा बच्चे पैदा करोगी | जीवन में तुम भी अपने लक्ष्य या मकसद निर्धारित करके अपना उद्देश्य बना सकती हो | अपनी चुनौतियों का सामना करके बिना डरे आगे बढ़ सकती हो |
लड़को की तरह कुछ बड़ा बनने के सपने सोच सकते हो ,देख सकती हो इसके लिए मेहनत करनी होगी अगर हम छोटा सा पौधा लगाते हैं तो यह निश्चित है कि हमें उसे फल प्राप्त होगा | इधर जितेंद्र जी को बड़ी जल्दी हो रही थी कि लक्ष्मी की शादी करें|
रोज चंदा को लक्ष्मी के शादी की बात करते कहते बेटी बड़ी हो रही है अब इसकी जल्दी से शादी कर देनी चाहिए| वह कहते हैं लड़के तो सड़क पर पानी पुरी का ठेला लगाकर भी अपना गुजारा कर सकते हैं | लेकिन लड़कियां नहीं |
लक्ष्मी का मुंबई सफर -
जितेंद्र जी की सोच बहुत छोटी थी | वह पुराने जमाने के आदमी दिखाई पड़ते थे लक्ष्मी को अपनी दादी, मां और नानी से ही समर्थन प्राप्त होता था | जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा लक्ष्मी को इन्ही से मिलती थी |
एक दिन नानी ने लक्ष्मी से कहा तुम्हारी एक दोस्त मुंबई में रहती है| यह कुछ पैसे ले और कुछ दिनों के लिए वहां घूम कर आ जा लक्ष्मी को और क्या चाहिए था|
उसने अपनी नानी से पैसे लिए और अपनी दोस्त आयुषी के घर जा पहुंची कब तक नानी और मां लक्ष्मी को बचाते रहेंगे | लेकिन जिंदगी में एक दिन आगे बढ़ना तो था |
आयुषी ने लक्ष्मी का मुंबई में रेलवे स्टेशन पर गले लगकर बहुत जोरों से स्वागत किया ऑटो से आयुषी के घर पहुंची लक्ष्मी बहुत खुश हो रही थी लेकिन जब उसे रहने के लिए अच्छा सा कमरा नहीं मिला तो वह थोड़ी उदास हो गई | साधारण सी लड़की आयुषी कॉल सेंटर पर नौकरी कर दस -पंद्रह हजार रुपए कमाती | लेकिन मुंबई एयर होने के कारण वहां का खर्चा भी उतना ही ज्यादा था आठ -दस हजार कमरे के किराए के लग जाते हैं तथा बाकी आने जाने में टेंपो का किराया हो जाता है | मुंबई का माहौल देखकर लक्ष्मी को अपने फ्यूचर के बारे में चिंता होने लगी| मुंबई में कई लोग बेरोजगार सभी इधर-उधर अपने रोजगार की तलाश में भटक रहे थे उनमें से एक लक्ष्मी भी थी| लक्ष्मी ने हमेशा से यही सोचा की तुम लड़की हो ,अपनी रक्षा खुद करो | लड़की हुआ तो क्या हुआ लेकिन हिम्मत तो लड़कों वाली होनी चाहिए |
उसको लगा की वह मुंबई में रहकर अपने भविष्य के लिए कुछ नहीं कर सकती|
ज़िंदगी में रिश्तो की अहमियत -
इसलिए अपनी नानी के गांव जाना ही बेहतर होगा वहां के माहौल के अनुसार ही वह अपने भविष्य के लिए कुछ प्लान करेंगी लक्ष्मी अगले दिन ट्रेन से अपने नानी के पास आ जाती है| नानी लक्ष्मी को देखकर बहुत खुश होती है और कहती है बेटा जिंदगी में पैसा ही सब कुछ नहीं होता सबसे बढ़कर रिश्ते होते हैं | जो रिश्तो की अहमियत को समझ गया वह जिंदगी जीने का मकसद समझ गया |
लक्ष्मी का जानवरो के प्रति प्यार लगाव -
एक बार लक्ष्मी सब्जी के लिए जा रही थी तो उसे एक बीमार गाय मिलती है | जो सड़क के किनारे पड़ी सड़ी गली सब्जी को खा रही थी | भूख-प्यास के कारण उसकी हालत खराब थी |
लक्ष्मी ने उसको डॉक्टर के पास दिखाकर दवाई पानी लाकर उसकी सेवा की और और अपने बाड़े में बांध लिया | कुछ दिनों में उस गाय में बहुत बदलाव आया वह खा पीकर स्वस्थ हो गयी | लक्ष्मी की नानी पूरे दिन गाय की सेवा में ही लगी रहती उसे चारा-पानी दवा-दारू देती रहती | लक्ष्मी को देखकर दोनों भाई दौड़कर आते हैं और लक्ष्मी के गले लगकर बहुत सारा प्यार करते हैं | अब लक्ष्मी ने अपने बाड़े में पशुओं की संख्या बढ़ा ली | पूरे दिन उन्हीं की सेवा में लगी रहती लक्ष्मी पूरे दिन काम करती गाय भैंस के पीछे घूमती रहती फिर इनका दूध निकालती लक्ष्मी को इतना काम करते हुए देखकर छोटा भाई समर भी उसका हाथ बढ़ाता था|
लक्ष्मी ने दूध बेचना शुरू कर दिया सरस दूध ऐसे सारे दूध को पीछे छोड़कर उनसे सस्ती कीमत पर अपनी ग्राहकी बढ़ा ली थी | अब लक्ष्मी ने अपने नानी की मदद से अपने बाड़े में 15 -20 जानवरों की संख्या और बढ़ा ली और अपना दूध का उत्पादन ज्यादा से ज्यादा करने लगी| इनका काम करने के लिए लक्ष्मी ने एक नौकर रख दिया था| सारा कामकाज वही संभालता था |
लक्ष्मी ने उन सबको अलग-अलग नाम भी दे दिए| जब लक्ष्मी ने अपना खुद का डेयरी का धंधा शुरू किया | वह अपनी पूरी निष्ठा तथा ईमानदारी के साथ दूध का काम करती| बिना किसी मिलावट किए और अपने आप को अपने धंधे को बहुत प्रसिद्ध कर दिया| जहां केवल राम कृष्ण के चर्चे होते थे वहा अब लक्ष्मी का नाम भी साथ में जुड़ गया | गांव में अब लक्ष्मी के काम ,मेहनत और ईमानदारी की चर्चा होती थी | यह देख सब लोग कहते थे क छोटी सी लड़की होकर आज कितना बड़ा काम कर रही है | देखो कितनी प्यारी बिटिया है|
यह बात समाज में लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है| लक्ष्मी को शुद्ध तथा साफ सफाई जानवरों को सुरक्षित व दूरस्थ रखने के एवज में सरकार ने उसे ₹200000 का चेक तथा एक ट्रॉफी देकर सम्मानित किया | तब जितेंद्र जी अपनी पत्नी चंदा को बोलते हैं चलोगी ना लक्ष्मी बिटिया से मिलने वृंदावन तब लक्ष्मी गुस्सा होकर बोलती है नहीं | उस काली कलूटी मूर्ख लड़की से क्या मिलना |
जितेंद्र जी थोड़ा रुक कर बोलते हैं अब मुझे माफ भी नहीं करोगी | जान तो गए हैं कि वह हमारी लड़कों से ज्यादा योग्य प्यारी सुंदर बेटी है | और वह दोनों खुशी के मारे नाचते हुए अपने घर के बाहर आते हैं उनकी खुशी देखकर गांव वाले भी उनकी खुशी में शामिल होते हैं तथा उनको बधाई देते हैं |
समाज में लक्ष्मी ने आगे बढ़कर एक मिशाल पेश की -
कि समाज में यह एक बहुत अच्छा काम है लड़कियों के आगे बढ़ने का यही तरीके है कि लड़की होना अपराध नहीं है समाज उसे अपराधी बना देता है| लड़की है तो क्या वह बिजनेस नहीं कर सकती बाहर जाकर नौकरी नहीं कर सकती अपना खुद का धंधा स्थापित नहीं कर सकती | लड़की हुई तो क्या हुआ वह अपनी जिंदगी में कुछ भी करने का हौसला रखना चाहिए बस लड़कियां लड़कों से दो कदम आगे हैं लड़के एक थप्पड़ मारे तो लड़कियां उसका जवाब मुक्के से देती है| अथार्त ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए|
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